ये साल वेगस के नाम
मैंने वो फ़िल्म देखी Ocean’s 11 और मैं दीवाना हो गया। जी नहीं Julia Roberts का नहीं, ना ही George Cloony या Brad Pitt का। मैं दीवाना हो गया उस एक जगह का। वो जगह जहां दिन नहीं ढलता, जहां सूरज के निकलने या डूबने का कोई ख़ास असर नहीं पड़ता। जहां जगमगाती इमारतें सीना ताने खड़ी हैं, मानो कोई योद्धा, युद्ध जीतकर आया हो और स्वाभिमान से भरा अपनी जनता के समक्ष खड़ा हो और उसे सुरक्षा का भरोसा दे रहा हो। जहां की आबो-हवा आज़ादी का ऐसा एहसास कराती है कि आप खुलकर कुछ भी कर सकते हैं। चंद गुनाह भी यहां गुनाह नहीं हैं। तभी तो इसे कहते हैं Sin City Las Vegas सिन सिटी लास वेगस।
यही वो जगह है जहां मैं साल 2014 में घूमने जाना चाहूंगा। जहां जाकर मैं सिर्फ और सिर्फ ख़ुद में खो जाऊं। तस्वीरों से झांकता लास वेगस जब इतना जीवंत और स्वछंद लगता है तो सोचिये जब मैं वहां पहुंचुंगा तो मैं स्वयं को कितना स्वतंत्र अनुभव करूंगा। मैं उसे अभी से महसूस कर सकता हूं।
View of Las Vegas City | Image : http://www.maxisciences.com |
मैं कोशिश करूंगा कि मैं जब वहां पहुंचूं तो महीने का पहला शुक्रवार हो और मैं डाउनटाउन के उस शानदार फर्स्ट फ्राइडे उत्सव का हिस्सा बन सकूं जिसमें रेगिस्तान के बीचो-बीच बंजर ज़मीन पर बसा ये पूरा शहर कला और संगीत के सागर में तैरने लगता है।
अब गुनाहों के शहर में आओ और कोई गुनाह ना करो, ये कैसे हो सकता है। हमारी दिल्ली में तो जुआ खेलना मना है लेकिन यहां जमकर जुआ खेलो, एक जेब में डॉलर भरकर यहां की कसीनो की जादुई दुनिया में पहुंचो और क़िस्मत हो तो लौटते वक़्त दूसरी जेब में भी डॉलर भरकर लौटो। और सुना है कि वेगस में बहुत सारी चीज़ें फ्री हैं। जैसे दिल्ली में कार पार्क करने जाओ तो 40 से 100 या 200 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं लेकिन वेगस में कोई पार्किंग चार्ज नहीं और फ्री का मज़ा तो सबसे बड़ा मज़ा होता है, क्यों? अब फ्री की बात चली है तो यहां ट्रैम भी फ्री है, एक कसीनो में घूम लिये, दूसरे कसीनो में जाना है। फ्री में ट्रैम लो और झट से पहुंच जाओ। न कोई टोकन लेना है, न कोई मेट्रो कार्ड। और ट्रैम से चलते हुए आधे वेगस का नज़ारा तो यूं ही हो जाता है।
Night view of Los Vegas City | Image: http://www.conciergetcetera.com/ |
सुना है मैंने कि वेगस के होटल, कसीनो और रिज़ार्ट इतने बड़े हैं, इतने बड़े हैं कि अगर आप अपने कमरे से निकल कर स्वीमिंग पूल तक जाना चाहें तो ये जैसे दिल्ली से नोएडा जाने के बराबर है। जैसे हम एक यात्रा कर रहे हों। जैसे हम एक होटल में नहीं बल्कि एक शहर में हो जो कई एकड़ में फैला है और जिसके भीतर ही सब कुछ है। मतलब आप यहां रह सकते हैं, खा सकते हैं, खरीददारी कर सकते हैं, घूम सकते हैं, पिकनिक मना सकते हैं, स्वीमिंग पूल में जा सकते हैं, एम्यूज़मेंट पार्क में जा सकते हैं, यहां तक कि आप शार्क जैसी भयानक मछलियों से रू-ब-रू भी हो सकते हैं। तो ऐसी जगह की ट्रिप मैं कैसे मिस कर सकता हूं। ये साल वेगस के नाम।
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