एक की ताक़त 'सचिन' The Power of One 'Sachin Tendulkar'


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सचिन होने के मायने समझने के लिए आपको ज़्यादा दूर जाने की ज़रुरत नहीं है। आपको सिर्फ अपने दिल में झांकना है। सचिन वहीं हैं और उनमें ऐसा कुछ नहीं है जिसे समझा जाये या समझाया जाये। वो एक ऐसी क़िताब हैं जिसे हर कोई पढ़ सकता है और दिलचस्प बात ये है कि इसके लिए उसका पढ़ा लिखा होना भी ज़रुरी नहीं। भाषाओं का बंधन नहीं, बोलियों कि विषमता नहीं। उसके लिए न वन टू थ्री आने की ज़रुरत है, न एक दो तीन, न वाहिद इस्मैन सलासा, न ए बी सीडी, न क ख ग, न अली बे ते। ये है उस एक की ताक़त।

ये सब कहने की ज़रुरत नहीं है लेकिन हर हिंदुस्तानी बिना शर्त देश के बाद सिर्फ 4 लोगों को प्यार करता है, एक मां को, दूसरा पिता को और तीसरा सचिन तेंदुलकर को। आप पूछेंगे फिर चौथा कौन है? चौथा वो जो सचिन से प्यार करता है। जी हां ये मोहब्बत की वो डोर है जो एक सचिन जो करोड़ों सचिन में बांटती है और फिर उन करोड़ों सचिन को एक कर देती है। इसे कहते हैं एक की ताक़त।

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ये ताक़त ऐसे ही नहीं आती। कोई एक अकेला पूरी दुनिया का चहेता ऐसे ही नहीं बन जाता। सचिन बनने की अपनी कहानी है, अपनी ख़ासियत है, अपना सफ़र है, उनके पिता ने उनसे कहा था-

“ देख सचिन, तू क्रिकेट अच्छा खेलने के बजाए अच्छा इंसान बन। क्रिकेट तो तुम बीस साल खेलोगे, अगर तुम अच्छे इंसान बने, तो लोग तुम्हें क्रिकेट खेलने के बाद भी याद रखेंगे।”- रमेश तेंदुलकर

सचिन ने पिता की इस बात को आदेश की तरह लिया और आज 24 साल बाद जब सचिन क्रिकेटर नहीं रहेंगे, जब उनके आंकड़े थम जाएंगे, जब उनका बल्ला रुक जायेगा, जब दस नंबर की जर्सी इतिहास का हिस्सा बन जाएगी, तब भी सचिन हर जगह होंगे। उनका क्रिकेट भी बोलता रहेगा, उनके आंकड़ें भी बोलते रहेंगे, उनका बल्ला नए बल्ले तैयार करेगा, उनकी जर्सी नए सचिन बनाती रहेगी। यही है एक की ताक़त।

ये वो ताक़त है जिसके होने या न होने के मायने नहीं है, वो तो बस है हमारे आपके दिलों में। वो भले ही मैदान में नहीं उतरेगा लेकिन जब-जब क्रिकेट खेली जाएगी, सचिन से वो जीत और शतक की उम्मीद हमेशा याद आएगी। जब-जब शिखर, धोनी, विराट, रोहित शॉट्स खेलेंगे, हमें उनमें सचिन नज़र आएंगे, वो सचिन जिन्हें हमने सातवें आसमान पर बिठाया लेकिन उनके पांव हमेशा धरती पर रहे। ये है सचिन होने के मायने। यही है एक की ताक़त

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सचिन वो संस्था हैं जिनसे सीखकर हिंदुस्तान सचिन की फैक्ट्री लगा सकता है। जिनका क्रिकेट युगों तक नये खिलाड़ियों को सीखाता रहेगा। मनिंदर यही चाहते हैं-

“युवा खिलाड़ियों में विराट कोहली ने सचिन तेंदुलकर से बहुत कुछ सीखा है। वहीं सुरेश रैना सचिन के साथ खेलकर भी नहीं सीख पाए। युवराज भी टेस्ट मैच में खेलने के गुर नहीं सीख पाए। सचिन नेट प्रैक्टिस भी ऐसे करते थे जैसे मैच खेल रहे हों। युवा खिलाड़ियों को सचिन से ये सब बातें सीखनी चाहिए।”- मनिंदर सिंह

एक अकेला जो वन मैन शो बन गया। एक अकेला जो वन मैन इंडस्ट्री बन गया। एक अकेला जो वन मैन आर्मी बन गया। छोटे क़द के सचिन में जो ऊर्जा थी वो ऊर्जा करोड़ों प्रशंसकों में पहुंच चुकी है। तीन पीढ़ियों से मास्टर ने विविधताओं वाले इस देश को एक बनाकर रखा और करोड़ों दिलों में बसी उनकी वो ऊर्जा शायद सदियों तक देश को एक बनाकर रखे। यही उम्मीद है एक की ताक़त से। The Power of One से।

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